नवोदित राज्य छत्तीसगढ़ में कई जिलों में चिकित्सा महाविद्यालय की स्थापना तो की गई है, पर लगभग सभी जगह उपयुक्त मानव संसाधन की कमी है।
अपने उक्त कथन की पुष्टि करते हुए छत्तीसगढ़ प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने सर्वप्रथम यह तथ्य प्रकाश में लाया कि चिकित्सा सेवा के मापदंड अनुसार प्रति चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल में प्रति ५ (पांच) रोगी शैय्या पर एक स्टाफ नर्स की अनिवार्यता है। उक्त नियमानुसार प्रदेश के सबसे पुराने चिकित्सा महाविद्यालय, पंडित जवाहर लाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय के संलग्न १२००( बारह सौ) बिस्तर लिए डॉ बी आर अम्बेडकर स्मृति अस्पताल में स्टाफ नर्सों की तीन पाली ड्यूटी के हिसाब से ७२० स्टाफ नर्सों की आवश्यकता है। वर्तमान में यहां मात्र १५० से २०० स्टाफ नर्स ही नियमित सेवा दे रहें हैं। उक्त अस्पताल को १८०० (अठारह सौ) बिस्तर तक विस्तार करने की चर्चा जोरों पर है, पर स्टाफ नर्सों की संख्या वृद्धि कब की जाएगी यह शासन ही बेहतर बता सकता है। प्रदेश के सभी चिकित्सा महाविद्यालय अस्पतालों की स्थिति ऐसी ही है।
स्टाफ नर्स संवर्ग के प्रति अन्य उदासीनता का उल्लेख करते हुए संघ ने यह बताया कि प्रदेश में उन्हें पोशाक भत्ता नहीं मिलता और धुलाई भत्ता मात्र ५० (पचास) रुपए मासिक मिलता है।
केंद्र शासन के अधीनस्थ चिकित्सा सेवा संस्थाओं में स्टाफ नर्स का पदनाम नर्सिंग अफसर है, जो तुलनात्मक ज्यादा गरिमापूर्ण है।