मरीजों के आरोग्य लाभ हेतु चिकित्सकों को अहम् सहयोग देने वाले पैरामेडिकल कर्मियाँ शायद ठीक तरीके से छन कर शासकीय सेवा में नहीं आ रहे हैंl छत्तीसगढ़ प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के प्रदेश कार्यालय में इस महत्वपूर्ण विषय को लेकर आलोचना चक्र के दौर चल रहें हैं l वर्तमान में शासकीय स्तर पर केवल x-ray तकनीशियन और लैब तकनीशियन का पाठ्यक्रम चलाया जा रहा है, जिसकी कठोर चयन प्रक्रिया का पालन हो रहा हैl निर्धारित प्राप्तांक, आयु और अन्य आवश्यक योग्यताओं को भली-भाँती देखा परखा जा रहा हैl यदि ८० प्रतिशात प्राप्तांक मापदंड है तो उसका ख्याल रखा जा रहा हैl ऐसा होते रहने से योग्य व्यक्ति ही चिकित्सक को सहयोग के लिए मिलते रहेंगेl खेद का विषय यह है की वर्तमान में राज्य में तीन निजी संस्थाओं में भी पैरामेडिकल विषय पढ़ायें जा रहें हैं, जिनमें ओफ्थाल्मिक असिस्टेंट, इ सी जी तकनीशियन, ओ टी तकनीशियन एवं ड्रेसर शामिल हैंl इन संस्थानों में मैनेजमेंट कोटा के चलते बहुत कम प्रतिशत अर्जित करनेवाले भी मोटी रकम देकर दाखिला ले रहें हैं और पैरामेडिकल कर्मी बन रहें हैं l इस बिंदु पर यह स्मरण करना आवश्यक है की विद्यालयीन कक्षाओं में अर्जित अंक व्यक्ति की गुणवत्ता के परिचायक होते हैंl ऐसे भी उम्मीदवार हैं जिनका चयन प्रदेश के किसी भी संस्था में न होने के बाद वे पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश के किसी संस्था में छत्तीसगढ़ में रहकर पैसे की ताकत पे दाखिला लेकर, वहां उपस्थिति न देकर ८० से ९० प्रतिशत अंक दर्शाते हुए प्रमाणपत्र लेकर बैठे हैंl अपना पंजीयन यहाँ ट्रान्सफर कराकर फिर वे छत्तीसगढ़ के शासकीय सेवाओं के लिए उम्मीदवारी करते हैंl एक और गुरुत्व देने लायक मुद्दा यह है की इस राज्य की वर्तमान एक-वर्षीय पैरामेडिकल पाठ्यक्रम को केंद्र स्तर से मान्यता नहीं है, जिसके कारण यहाँ से उत्तीर्ण उम्मीदवार भी अन्यत्र नौकरी नहीं कर सकते, पर बहार से उत्तीर्ण लोग यहाँ आकर नौकरी कर सकते हैंl जो भी उम्मीदवार बहार से यहाँ आकर शासकीय पैरामेडिकल तकनीशियन की नौकरी करना चाहता है, उनके लिए एक युक्ति-युक्त चयन प्रक्रिया होनी चाहिएl
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