स्वास्थ्य रक्षा में अपने अंगों को सुचारू रूप से क्रियाशील रखने के लिए केवल चिकित्सकों की सलाह ही नहीं, बल्कि मानव तस्करी के विषय में जानकार होकर सावधान रहना भी जरूरी है l

छत्तीसगढ़ पुलिस की यह भी एक उद्देश्य है की प्रदेश की आम जनता, विशेषकर कम पढ़े-लिखे और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग, इस संगठित अपराध के कौशल को जानें, तस्करों के चुंगल से बचे रहें और समय पर पुलिस को सूचित करेंl

मानव तस्करी के मुख्य तिन अपवित्र उद्देश्य होतें है- किसी भट्टी, कारखाने, मिल इत्यादि के लिए श्रमिक सप्लाई करना, देह व्यापार और मानव अंग के जरूरतमंद धनाड्य लोगों को वह अंग मुहैया करानाl

मानव तस्करी एक संगठित अपराध है और इसमें शामिल लोग मनोदशा,मनोविज्ञान का लाभ उठाते हैंl ये लोग प्रत्यक्ष बातचीत न कर अप्रत्यक्ष्य बातचीत कर भोले-भाले लोगों को फंसाते हैंl  इनके कौशल का उल्लेख करते हुए छत्तीसगढ़ पुलिस सूत्रों ने बताया की मानव तस्करी गैंग में ऐसे लोग होते हैं जो स्पाटर कहलाते हैं, और ये  गोपनीय तरीके से किसी गरीब लोगों के मोहल्ले के सबसे दुर्दशाग्रस्त परिवार और उस परिवार के मुखिया की नशा-लत, नित्य कहीं पर आना-जाने के बारे में जानकारी इकट्ठी कर अपने गैंग के आकाओं को प्रेषित कर देते हैंl तथ्य कुछ ऐसे होते हैं की चिन्हित परिवार-मुखिया इस बात से एकदम अनभिज्ञ रहता है की उसके बारे में जानकारियाँ किसी मानव तस्करी गैंग में लिपिबद्ध हो चुकी हैंl

स्पाटर के बाद सक्रिय होतें है गैंग के प्रोकुरेर, जो दो, तिन या चार की संख्या में उक्त परिवार मुखिया के नित्य आने-जाने की जगह, जैसे उसके कार्यस्थल के निकट चाय-पान ठेला, भजिया-समोसा दूकान पर उसके सामने आम वार्तालाप की शैली में अप्रत्यक्ष्य प्रलोभन देते है, जैसे,  ‘रामलाल के बेटे की तो नौकरी लग गई, भैया हम गरीब आदमी के भलाई के एवज में कोई पैसे नहीं लेते’,इत्यादि l

प्रोकुरेर लोगों की आपसी बात-चित से आकर्षित होकर गरीब आदमी खुद यह प्रस्ताव उन्हें दे बैठता है की वे उसकी भी मदद करेंl  यहीं पर प्रोकुरेर की भूमिका की गैंग में सफल समाप्ती मानी जाती हैl गैंग इतनी पेशेवर होती है की इसके महिलाएं फिर सक्रिय होकर उस गरीब परिवार से अल्प समय के भीतर किसी न किसी सदस्य को अपने साथ चलने में मजबूर कर देते हैं l मानव तस्करी गैंग के सुक्ष्म कौशल के प्रभाव में आकर प्रभावित व्यक्ति इनके बारे में अपने मित्र- मंडली, अन्य संपर्क-संबंधों में बिलकुल जिक्र नहीं करताl

प्रभावित परिवार के सदस्य को बस या ट्रेन में ले जाते समय रास्ते में महिलाएं कहीं उतरकर सदस्य की जिम्मेदारी किसी और को, जो की गैंग के ही सदस्य होते हैं, उन्हें सौंप देते हैं l इस पूरी प्रक्रिया में गैंग के सदस्य अपने फर्जी विवरण प्रभावित परिवार को देते हैं, जैसे घर का पता, मोबइल नम्बर इत्यादि l

इस प्रकार लोगों को चुराकर उन्हें तस्कर गैंग किसी चिकित्सकीय ज्ञान सम्पन्न असाधु चक्र में ले जाता है, जहाँ उसे किसी न किसी तरीके से किसी दिन बेहोश कर शल्य क्रिया से अंग निकाल लेते हैं, और उसे उसकी हालत में छोड़ देते हैं l इस प्रकार के चोरी के एवज में गैंग को अच्छे पैसे मिलते हैंl

मानव तस्करों से बचने का सर्वोत्तम उपाय है उनके कार्य-कौशल को जानना, सचेत रहना, प्रलोभन में न फंसना और समय रहते पुलिस को सूचना देनाl छत्तीसगढ़ पुलिस सूत्रों का कहना है की अभी तक छत्तीसगढ़ से उक्त प्रकार से अंग चुराने की घटना दर्ज नहीं हुई है, पर मानव तस्करी की एक अपवित्र उद्देश्य मानव अंग चुराना भी हैl पुलिस सूत्रों ने आगे बताया की पुलिस के द्वारा ग्राम रक्षा समिति, चालित पुलिस थाना इकाइयाँ, हेल्पलाइन नंबर चलायी जा रही हैl

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