छत्तीसगढ़ प्रदेश की शहरी एवं ग्रामीण जनता को अक्सर भिन्न-भिन्न रोगों की सर्जरी, आधुनिक चिकित्सकीय उपकरण और मशीनें, चिकित्सकीय हुनर मानों धारावाहिक दिखाई जाती हैl यह भी दर्शया जाता है कि किस अस्पताल में रोगी शय्याओं की कितनी वृद्धि की गई है, और वहां के परिचर्या का स्तर कैसा है l अपेक्षाकृत यह कम बताया जाता है कि किस रोग का क्या निवारण है ? निरामय को कैसा समझा जाय- इलाज के बाद का स्वास्थ्य लाभ या इलाज की आवश्यकता रहित शारीर और मन ?

छत्तीसगढ़ प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के प्रतिष्ठाता और स्वास्थ्य कर्मचारी जगत में स्वनामधन्य व्यक्तित्व श्री ओ पी शर्मा ने बताया की आये दिन सूचनाओं के भिन्न-भिन्न माध्यम में चिकित्सा जगत के ‘Curative’ ( इलाज) पहलू लेखन पटुता से परिपूर्ण और प्रमुखता लिए दिखते हैंl  ‘Preventive’ ( निवारण) पहलू की लेखन, कथन, गायन और चित्रण टिमटिमाते प्रकाश की दशा में हैl

सूचना तकनीक में हो चुके क्रान्ति के युग में स्वास्थ्य रक्षा से सम्बंधित सूचनाओं का प्रचार- प्रसार अत्यंत आसान हो गया है, जिसे कोई भी चिकित्सक, स्वास्थ्य कर्मी या संगठन कर सकता हैl 

स्वस्थ्य समाज वह है जहाँ स्वास्थ्य सेवा कम से कम लगे और अस्पतालों में रोगी शय्याओं की वृद्धि न होकर दिनों-दिन संख्या लघु होती जायl छत्तीसगढ़ प्रदेश को यदि इस प्रकार उपलब्धि से सुशोभित करना है, तो एक तरफ रोग निवारण पर जोर देना होगा और जनता में ‘रोगी होना, शान के खिलाफ’ जैसी चेतना जागृत करनी होगीl

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