जिस तालाब में पालतू पशुओं को नहलाया जाता है, उसमें मनुष्यों को कभी नहीं नहाना चाहिएl यह भी स्वास्थ्य रक्षा के लिए परमावश्यक है और इसकी जागरूकता की प्रदेश के ग्रामीण जनता में और होने की आवश्यकता महसूस की जा रही है l पशु और मनुष्य एक ही तालाब में नहाने से मनुष्य में एक जानलेवा बीमारी, जिसे अंग्रेजी में Rhinosporidiosis कहा जाता है, हो जाती हैl इस बीमारी का इलाज जटिल शल्य क्रिया ही हैl
प्रवीण नेत्र विशेषज्ञ तथा अंधत्व निवारण राज्य अधिकारी श्री सुभाष मिश्रा ने जानकारी दी कि उक्त बिमारी एक फंगल डिजीज है, जो पशुओं के शारीर से निकलने वाले माइक्रोब्स के कारण मनुष्यों में होता हैl यह बीमारी बच्चों में ज्यादा होने की सम्भावना होती है, क्योंकि वे ज्यादा देर तक तालाबों में नहाते हैंl
उक्त बिमारी में मुंह, नाक तथा आँख में मस्से बनते हैं, जो शारीर के खून चूस-चूस कर बड़े आकार के होते रहते हैं l इन मस्सों से रोगी के शारीर को मुक्त करने के लिए जटिल शल्य क्रिया करनी पड़ती हैl ज्ञात हो की शल्य क्रिया के लिए निश्चेतना की आवश्यकता होती हैl अर्थात बच्चों में यह बिमारी होने से उनका ईलाज और जटिल हो जाता हैl
शासकीय नेत्र सहायक अधिकारी श्री राजेंद्र यादव ने जानकारी दी कि नाक में उक्त मस्से होकर दीर्घाकार होने से श्वसन नली अवरुद्ध होकर मरीज की मृत्यू कारित कर सकती हैl कई शल्य क्रियाओं के साक्षी रह चुके श्री यादव का आगे कहना है की शल्य क्रिया में मरीज का काफी रक्त बहता हैl
ग्रामीण स्तर पर केवल जागरूकता से और पशुओं के लिए तालाब पृथकीकरण से यह बीमारी को रोका जा सकता हैl स्वास्थ्य विभाग तथा पंचायत विभाग ने संयुक्त प्रयास कर इस दिशा में काफी जागरूकता लायें हैं, पर आज की स्थिति में यह जोर देकर नहीं कहा जा सकता है की छत्तीसगढ़ पूर्णतः ‘राइनो मुक्त’ राज्य हो चुका हैl