रूरल मेडिकल एसिस्तंट को चिकित्सक के अधीन रहकर मरीजों को सेवा प्रदाय करना है। उनसे संबंधित आदेश, निर्देश में यह स्पष्ट उल्लेखित है। उक्त तथ्य को रेखांकित करते हुए छत्तीसगढ़ प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के मेडिकल लैब टेक्नीशियन प्रकोष्ठ के प्रांतीय संयोजक विकास यादव ने कहा कि सरकारी सेवा में नियुक्त मेडिकल लैब टेक्नीशियन आर एम ए द्वारा स्वतंत्र रूप से मरीजों का परीक्षण कर लिखे गए जांच हेतु पर्चों को नहीं मान रही है। टेक्नीशियन उक्त जांच नहीं कर रहें है। प्रदेश के कई प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में पदस्थ आर एम ए ऐसा कर रहे है। प्रकोष्ठ ने संबंधित आदेश,निर्देशों का उल्लेख करते हुए प्रदेश शासन के स्वास्थ्य सचिव तथा प्रशासनिक स्तर पर संचालक, स्वास्थ्य सेवाएं को अपना निर्णय स्पष्ट कर पत्राचार कर चुकी है। ज्ञात हो की आर एम ए को लेकर पूर्ववर्ती शासन काल में काफी विवाद हुए थे। न्यायलयीन आदेश में उनकी भूमिका को सीमित किया गया है और प्रदेश शासन ने भी उन्हें सीमित अधिकार दे रखे है। यह उल्लेख करना भी प्रासंगिक होगा कि भारत में मान्यता प्राप्त किसी भी चिकित्सा विधी जैसे एलोपैथ, होमोरोपथी, इत्यादि में उनका उल्लेख नहीं है। छत्तीसढ़ प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने यह पाया है कि कई आर एम ए दवा व अन्य चिकित्सकीय सामग्रियों पर विक्रेताओं से कमीशन खाने के लिए अपनी सीमाओं का उल्लघंन कर स्वतंत्र पेशेवर कि तरह आचरण करते है। संघ के पास अपने वक्तव्य को प्रमाणीत करने के लिए पर्याप्त सबूत है।

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