भारत देश को ‘मधुमेह की राजधानी’ जैसे देखे जाने की वर्तमान दौर में छत्तीसगढ़ को यदि एक अपवाद राज्य के रूप में सुप्रतिष्ठित करना है तो इस प्रदेश की शहरी एवं ग्रामीण जनता को इस बीमारी के कारणों की सठिक जानकारी होनी चाहिए एवं इस बीमारी के गिरफ्त में हो जाने की स्थिति में स्थापित चिकित्सा पद्धति जो सरकारी चिकित्सा सेवा में समावेशित है उसे ही मानकर जीवनयापन करना चाहिये l

उपरोक्त कथन श्रीमती धानेश्वरी साहू के हैं, जो एक शासकीय परामर्शदात्री होने के साथ साथ छत्तीसगढ़ प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के उक्त प्रकोष्ठ की प्रदेश संयोजिका हैंl अपने नित्य शासकीय कर्त्तव्य परिक्रमा में श्रीमती धानेश्वरी साहू ने यह पाया है कि कई मधुमेह पीड़ित व्यक्ति जनश्रुति के आधार पर, जैसे अपने नित्य आहार में करेला, नीम की बुकनी या किसी फल, फुल, पत्ते के सेवन मात्र को ही अपने प्रति अपने कर्त्तव्य की इतिश्री समझते हैं और सरकारी चिकित्सक के आदेश-उपदेश को गंभीरता से नहीं लेते l

ऐसे लोगों की रक्तशर्करा की स्थिति नापने पर कई बार संतोषजनक परिणाम तो मिलते हैं पर ऐसे लोगों को कभी यह उत्साह नहीं देना चाहिए की वे सरकारी चिकित्सक या स्थापित चिकित्सा पद्धति को न मानेंl मधुमेह एक ऐसी स्वास्थ्य समस्या है जिसे कई जानलेवा बिमारियों की जननी कहा जाता हैl अंग्रेजी में मधुमेह को ‘Silent Killer’ अर्थात शारीर के भीतर एक ‘छिपा हत्यारा’ की भयावह संज्ञा का दर्जा प्राप्त हैl मधुमेह रुग नहीं विकार है जिसे कभी संपूर्ण ठीक नहीं किया जा सकताl जीवन पर्यंत इसे नियंत्रण करके जीवन की गुणवत्ता को बनाये रखना पड़ता हैl

एक त्रिशूल की भाँती इसे नियंत्रण करने के लिए तिन मुख्य सलाहों पर चलना होता है और ये है ‘आहार’, ‘औषधी’ और ‘व्यायाम’l इन तीनों में से एक भी सलाह को न मानना अन्य दोनों को प्रभावशुन्य कर देता हैl

मधुमेह से आमजनता की स्वास्थ्य रक्षा हेतु राष्ट्रीय कार्यक्रम चलाया जा रहा है और प्रदेश सरकार की स्वास्थ्य सेवा तंत्र एक सबल, सजग प्रहरी की भाँती कार्य कर रहा हैl लेकिन प्रदेश में मधुमेह नियंत्रण में जनता की जो महत्वपूर्ण भूमिका है वो है अपने आहार, विहार, चिंतन और निद्रा का ख्याल करना और विकारग्रस्त होने पर चिकित्सकों की सलाह माननाl

ध्यान रहे की मधुमेह के लक्षण सभी में एक जैसे नहीं होते हैंl किसी को भूख ज्यादा तो किसी को कम लगती हैl कोई जल्दी थकावट महसूस करता हैl वर्तमान समय में मधुमेह एक लोकचर्चा का विषय बन चुकी है और कई लोग इसके कई नुस्खें बताते फिरते हैl ध्यान रहे की जनश्रुति सदैव मिश्रित सत्य होती हैl प्रायः सभी सरकारी अस्पतालों में मधुमेह से सम्बंधित प्रमाणित सलाह दिए जाते हैं और चिकित्सक रोगी के स्वास्थ्य विशेषताओं को देखते हुए उनका उपचार करते हैंl छत्तीसगढ़ प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के प्रांताध्यक्ष श्री आलोक मिश्रा के अनुसार प्रदेश में शासकीय परामर्शदाताओं की संख्या लगभग ३०० से ३५० तक हैl विकारग्रस्त होने पर जनश्रुति या इन्टरनेट को प्राधान्य न देकर चिकित्सक पर सबसे पहले विश्वास करना चाहिएl

——-                 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *