छत्तीसगढ़ प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के अंतर्भुक्त रेडियोग्राफरों की प्रकोष्ठ यह मांग करती है कि उनकी रेडीयेशन भत्ता बढ़ायी जाय। अविभाजित मध्यप्रदेश शासनकाल में सन 1994 में तत्कालीन सरकार द्वारा रेडियेशन भत्ता 50 रुपये प्रतिमाह घोषित किया गया था। उक्त समय से आज दिनांक तक मात्र इतनी ही अल्प राशि उक्त भत्ते के मद में दी जा रही है, जो महंगाई के अनुपात में हिमालय के समक्ष वल्मिक स्तूप जैसे है।
रेडियोग्राफरों के कार्य में यदि लापरवाही या मानवीय चूक हो तो स्वास्थ्य पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। अनावश्यक रेडीयेशन से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी भी हो सकती है।
रेडियोग्राफरों की मांग है कि रेडियेशन भत्ता मूल वेतनमान की 10 प्रतिशत निर्धारित कर बढ़ायी जाये।