नियमित जागरूकता अभियानों से आम जनमानस में यह बात तो अच्छी तरह बैठती दिखती है की बस या ट्रेन की सफ़र में किसी अजनबी से पानी, भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिएl परन्तु आज भी सफ़र में जहर खुरानी के कुछ तौर तरीकों से आम जनता बिलकुल अनभिज्ञ प्रतीत होती दिखती है, खासकर आँखों के सामने किस प्रकार चाय-कॉफ़ी में, और क्रीम बिस्कुट में बेहोशी की दवा डाली जाती हैl शासकीय रेल्वे पुलिस की यह मंशा है की आम जनता इन तौर-तरीकों को जानकर सफ़र में सतर्क रहें   l

जहरखुरानी गैंग के सदस्य, जो तिन-चार की संख्या में होते हैं, सबसे पहले भोले-भाले यात्री से मेलजोल बढ़ाते हैंl इन सदस्यों में से कोई एक अपने किसी ऊँगली में बढ़ाये हुए नाख़ून के उपरी हिस्से में बेहोशी की दवा  सेट किये रखते हैंl किसी स्टेशन पर चाय-काफी की स्टाल से चाय-काफ़ी लाकर देने की सहायता के छल में अपने हाथों की सफाई से उस ऊँगली में सेट की हुई दावा को पेय में मिला देते है l इनकी कपट मिलनसारिता और हस्त कौशल इतना होता है की चलती ट्रेन में भी ये अपना हुनर दिखाकर यात्री को बेहोश कर अपने आगे के मनसूबों को अंजाम दे सकते हैं l रेल्वे पुलिस जनता में यह जागरूकता देखना चाहती है की कोई भी व्यक्ति किसी के चाय, काफी, लस्सी या अन्य पेय आँखों के सामने खरीद कर या स्टाल से लाकर देने से भी उसे ग्रहण करना नहीं चाहतीl पुलिस सुत्रों का स्पष्ट मानना है की जहरखुरानी में दक्ष लोग किसी के आँखों के सामने भी उसकी होश उड़ा कर उसके सामान चुरा सकते हैं l

जहरखुरानी गैंग के एक अन्य कौशल के बारे में बताते हुए रेल्वे पुलिस सूत्रों ने अपना नाम न बताने की शर्त पर समझाया की ये लोग पहले अपने ठिकाने में क्रीम बिस्कुट का पैकेट खरीदकर उसे खोल कर तीसरे या चौथे बिस्कुट को दो भागों में सफाई से अलग कर उसके क्रीम में बेहोशी की दवा मिलकर उसे पुनः पैक कर देते हैंl सफ़र में ये आपस में पहला या दूसरा बिस्कुट खुद खाकर ठीक बेहोशी की दवा मिली हुई बिस्कुट मिलनसारिता के छल में किसी भोले-भाले यात्री को देकर अपने आगे के पाप को अंजाम देते हैl सफ़र में चाय-काफी, बिस्कुट, तम्बाकू- खैनी किसी अजनबी से न लेना ही बुद्धिमानी हैl  

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